यण् सन्धि की परिभाषा व उदाहरण
स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भेद (प्रकार) है यण् सन्धि | स्वर संधि के मुख्य रूप से पांच भेद होते हैं तथा तीन अवान्तर भेद होते है :-1.दीर्घ , 2. गुण , 3. वृद्धि , 4. यण्, 5. अयादि | इनके अलावा 6. पूर्वरूप , 7. पररूप , 8. प्रकृति भाव | आज हम इस लेख में यण् सन्धि के विषय में विस्तृत अध्ययन करेंगे जिसमें (Yan Sandhi ki Paribhasha Udaharan)यण् सन्धि की परिभाषा , सूत्र व अनेकों उदाहरणों होंगे |
यण् सन्धि की परिभाषा (Yan Sandhi ki Paribhasha Udaharan) :-
यदि हृस्व / दीर्घ इ, उ, ऋ, लृ के पश्चात कोई विजातीय स्वर हो तो हृस्व/दीर्घ इ, उ, ऋ, लृ के स्थान पर क्रमशः य् , व् , र् , ल् आदेश हो जाता है |
** इस संधि में पूर्व पद के अन्तिम स्वर के स्थान पर ही परिवर्तन होगा |
विशेष :- यहाँ पर पूर्व वर्ण के बाद सजातीय वर्ण नहीं होना चाहिये यदि सजातीय होगा तो दीर्घ सन्धि हो जाएगी | अर्थात् इ के बाद छोटी या बड़ी कोई भी इ नहीं होना चाहिये और इसी तरह उ के बाद एवं ऋ के बाद उसी जाति का स्वर नहीं होना चाहिए |
यण् संधि का सूत्र क्या होता है ? : – इको यण् अचि
यण् संधि के चार नियम होते हैं –
इ / ई + भिन्न स्वर = य्
उ / ऊ + भिन्न स्वर = व्
ऋ + भिन्न स्वर = र्
लृ + भिन्न स्वर = ल्
उदाहरण –
इ + अ = य्
अति + अल्प = अत्यल्प
इ + आ = य्
इति + आदि = इत्यादि
उ + अ = व्
सु + आगत = स्वागत
ऊ + आ = व्
वधू + आगमन = वध्वागमन
ऋ + अ = र्
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
लृ + भिन्न स्वर = ल्
लृ + आकृति: = लाकृति:
इन उदाहरणों में पूर्व पद के अंतिम स्वर में ही परिवर्तन हुआ है (+ ) के बाद भिन्न स्वर होने के कारण कोई परिवर्तन नही करना है |
यण् सन्धि के उदाहरण (Yan Sandhi ki Paribhasha Udaharan)
इ / ई + भिन्न स्वर = य्
यदि + अपि = यद्यपि
इति + अपि = इत्यपि
इति + आदि = इत्यादि
अति + आवश्यकम् = अत्यावश्यकम्
प्रति + आगच्छति = प्रत्यागच्छति
इति + आह = इत्याह
अपि + एवम् = अप्येवम्
प्रति + एकम् = प्रत्येकम्
नदी + अत्र = नद्यत्र
सुधी + उपास्य = सुध्युपास्य
देवी + अपि = देव्यपि
उ / ऊ + भिन्न स्वर = व्
अनु + अर्थ: = अन्वर्थ:
अनु + अय: = अन्वय:
सु + आगतम् = स्वागतम्
धेनु + ऐक्यम् = धेन्वैक्यम्
तनु + अंगी = तन्वंगी
वधू + आज्ञा = वध्वाज्ञा
मधु + अरि: = मध्वरि:
वधू + आदेश: = वध्वादेश:
वधू + आगमनम् = वध्वागमनम्
ऋ + भिन्न स्वर = र्
पितृ + अर्थम् = पित्रर्थम्
मातृ + आदेश: = मात्रादेश:
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
भ्रातृ + आज्ञा = भ्रात्राज्ञा
मातृ + आ = मात्रा
पितृ + आदेश: = पित्रादेश:
लृ + भिन्न स्वर = ल्
लाकृति: = लृ + आकृति:
लानुदेश: = लृ + अनुदेश:
लादेश: = लृ + आदेश:
लाकार: = लृ + आकार:
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