Satv Sandhi in sanskrit

सत्व संधि (विसर्ग के स्थान पर श्, ष्, स्) Satv Sandhi in sanskrit

मेरे पूर्व लेखों (blogs) में संधि की परिभाषा व अनेकों सन्धियों के विषय में पढ़े थे | आज हम सत्व संधि के विषय में पढ़ेंगे | सत्व संधि को ही विसर्ग के स्थान पर श्, ष्, स् संधि कहते हैं | सत्व संधि (Satv Sandhi in sanskrit) विसर्ग सन्धि का ही एक भेद (प्रकार) है | इस सन्धि की परिभाषा, उदाहरण व सूत्र नीचे विस्तार पूर्वक दिए गए हैं |

सत्व सन्धि (Satv Sandhi in sanskrit) :-

सूत्र 01. “विसर्जनीयस्य सः” :- यदि पूर्व (पहले) पद के अन्त में (पदान्त) विसर्ग (:) हो तथा विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का 1, 2, वर्ण ( क्, ख्, च्, छ्, ट्, ठ्, त्, थ्, प्, फ्) / श्, ष्, स्  हो तो विसर्ग (:) के स्थान पर सकार आदेश हो जाता है |

वर्णमाला में तीन प्रकार के श्, ष्, स् होते हैं  |

यदि विसर्ग (:) के बाद च्, छ्, / श् हो तो विसर्ग (:) को श् होगा |

[ : + च्, छ्, / श् = श् ]

यदि विसर्ग (:) के बाद ट्, ठ्, / ष् हो तो विसर्ग (:) को ष् होगा |

[ : + ट्, ठ्, / ष् = ष् ]

यदि विसर्ग (:) के बाद क्, ख्, त्, थ्, प्, फ् / स् हो तो विसर्ग (:) को स् होता है |

[ : + क्, ख्, त्, थ्, प्, फ् / स् = स् ]

सत्व संधि के उदाहरण :- 

क:     + चित्     = कश्चित्

विष्णुः + त्राता    = विष्णुस्त्राता

राम:   + टीकते = रामष्टीकते

नम:   + कार:    = नमस्कार:

नि:    + सन्देह  = निस्सन्देह

इत:   + तत:    = इतस्तत:

नि:    + तेज    = निस्तेज

नम:  + तुभ्यम् = नमस्तुभ्यम्

बाल: + सरति   = बालस्सरति

शिशु: + तरति  = शिशुस्तरति

रामः  + चिनोति = रामश्चिनोति

मन:  + चंचल   = मनश्चंचल

तप:  + चर्या     = तपश्चर्या

रामः + च         = रामश्च

धनु:  + टङ्कार   = धनुष्टङ्कारः

राम: + ठक्कुर: = रामष्ठक्कुर:

निः + छलः      = निश्छलः

सूत्र 02. “वा शरि” :- यदि विसर्ग के सामने शर् प्रत्याहार (श्, ष्, स्) हो तो विसर्ग के स्थान पर विकल्प से विसर्ग ही आदेश हो जाता है |

उदाहरण –

हरिः + शेते = हरिश्शेते / हरिः शेते

देव: + षष्ठः = देवष्षष्ठः / देव: षष्ठः

नि: + सन्देह = निस्सन्देह / नि:सन्देह

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