Samas ki Paribhasha Prakar (समास की परिभाषा व प्रकार)

समास की परिभाषा व प्रकार (Samas ki Paribhasha,Prakar)

समास शब्द “सम्” उपसर्ग पूर्वक “अस्” धातु से बना है | इसका अर्थ होता है :- संक्षेप | अर्थात् समास की परिभाषा होती है – दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से उत्पन्न विकार को समास कहते है | Samas ki Paribhasha Prakar. समास-प्रक्रिया में उन दो शब्दों को जोड़ा जाता है, जिनका अर्थ अलग-अलग होता है और उन दोनों के मेल से एक नया शब्द बनता है | दो या दो से अधिक शब्दों में मिलकर बनने वाले एक सार्थक शब्द को समास कहते है | “सम्” (संक्षिप्त) + “अस्” (कथन) = समास, अर्थात् समास का अर्थ हुआ संक्षिप्तीकरण करना |

संस्कृत परिभाषा :- समसनं समास: |

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समास के प्रकार (Samas ki Paribhasha Prakar)

समास मुख्य रूप से 5 प्रकार के होते है | कर्मधारय और द्विगु समास तत्पुरुष समास के ही उपभेद है |

  1. केवल समास
  2. अव्ययी-भाव समास
  3. तत्पुरुष समास
  4. द्वन्द्व समास
  5. बहुव्रीहि समास

कर्मधारय और द्विगु समास तत्पुरुष समास के ही उपभेद है |

1. केवल समास :- जिस समास को कोई विशेष नाम न दिया गया हो उसे केवल समास कहते है | यह समास का पहला प्रकार / भेद है |

उदाहरण :- भूतपूर्व: = पूर्वं भूत:

2. अव्ययीभाव समास :- जिस समास में पूर्व पद (पहले पद) की प्रधानता हो उसे अव्ययीभाव समास कहते है | यदि प्रथम पद अव्यय / उपसर्ग हो तो उसे भी अव्ययी-भाव समास कहते है |

उदाहरण :- अध्यात्मम् = आत्मनि

उपकृष्णम् = कृष्णस्य समीपे

निर्मक्षिकम्= मक्षिकाणाम् अभाव:

3. तत्पुरुष समास :- जिस समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/ विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता है |

उदाहरण :- नरकपतित: = नरकं पतित:

हरि-त्रात:   = हरिणा त्रात:

युद्धनिपुण:  = युद्धे निपुण:

4. कर्मधारय समास :- जिस समास में दोनों पदो की प्रधानता होती है उसे कर्मधारय समास कहते है | अर्थात् जिसमें दोनों शब्दों का समानाधिकरण हो ऐसा तत्पुरुष समास समानाधिकरण तत्पुरुष (कर्मधारय) समास कहलाता है |

उदाहरण :- नीलोत्पलम् = नीलम् उत्पलम्

घनश्याम:   = घन: इव श्याम:

महात्मा     = महान् च असौ आत्मा

5. द्विगु समास :- जिस समास में पूर्व पद (पहला पद) सख्या वाचक और दूसरा पद संज्ञा वाचक हो तो उसे द्विगु समास कहते है |

उदाहरण :- त्रिलोकी = त्रयाणां लोकानां समाहार:

पंचवटी  = पंचानाम् वटानाम् समाहार:

6. द्वन्द्व समास :- जहाँ पर दो या दो से अधिक शब्दों का इस प्रकार समास हो जिसमे “च” (और)का अर्थ छिपा हो तो उसे द्वंद्व समास कहते है |

उदाहरण :- अर्थधार्मौ = अर्थश्च धर्मश्च (अर्थ: च धर्म: च)

पितरौ    = माता च पिता च

7. बहुव्रीहि समास :- जिस समास में अन्य पद की प्रधानता होती है उसे बहुव्रीहि समास कहते है |

उदाहरण :- चन्द्रशेखर: = चन्द्र: शेखरे यस्य स:

दशानन:    = दश आननानि यस्य स:

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