Nay Tat Purush Samas

Nay Tat Purush Samas (नञ् तत्पुरुष समास)

परिभाषा :- जब शब्दों को नकारात्मक बनाने के लिए “अ” अथवा “अन्” लगाकर शब्द बनाया जाए तो उसे नञ् तत्पुरुष समास (Nay Tat Purush Samas) कहते हैं | समास विग्रह करते समय “अ” अथवा “अन्” के स्थान पर “न” शब्द का प्रयोग किया जाता है |संस्कृत में नञ् तत्पुरुष समास तत्पुरुष समास का ही एक भेद है जिसका प्रयोग निषेध या अनुपस्थिति के अर्थ को बताने के लिए किया जाता है |

सामान्यतः तत्पुरुष समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas in Sanskrit) कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता है | तत्पुरुष समास में उत्तरपद मुख्य भाग होता है।

तत्पुरुष समास के दो प्रकार होते हैं :-

  1. व्यधिकरण तत्पुरुष समास
  2. समानाधिकरण तत्पुरुष समास

व्यधिकरण तत्पुरुष समास :- व्यधिकरण तत्पुरुष समास में विभक्ति का प्रयोग किया जाता है | अत: विभक्ति के अनुसार यह 6 प्रकार का होता है | इनके अलावा एक नञ् तत्पुरुष समास भी होता है |

  1. नञ् तत्पुरुष समास
  2. द्वितीया तत्पुरुष समास
  3. तृतीया तत्पुरुष समास
  4. चतुर्थी तत्पुरुष समास
  5. पञ्चमी तत्पुरुष समास
  6. षष्ठी तत्पुरुष समास
  7. सप्तमी तत्पुरुष समास

द्वितीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के समास को आप मेरे पूर्व blog में पढ़ सकते हैं |

उदाहरण (Nay Tat Purush Samas)

समास युक्त पद    समास विग्रह

अहिंसा              = न हिंसा

अविवेक:            = न विवेक:

अधर्म:               = न धर्म:

अज्ञानी              = न ज्ञानी

अनर्थ:                = न अर्थ:

अनुपयोगी          = न उपयोगी

अनुत्सव:            = न उत्सव:

अनन्तम्             = न अन्तम्

अस्वस्थ:            = न स्वस्थ:

अनीश्वर:            = न ईश्वर:

अनुपयुक्त:          = न उपयुक्त:

अनुचितम्          = न उचितम्

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