Dvigu Samas

द्विगु समास (Dvigu Samas)

द्विगु समास (Dvigu Samas) तत्पुरुष समास का ही एक भेद है | जिस समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता है | तत्पुरुष समास दो प्रकार का होता है – व्यधिकरण तत्पुरुष समास और समानाधिकरण तत्पुरुष समास |

समानाधिकरण तत्पुरुष समास भी दो प्रकार का होता है – द्विगु समास व कर्मधारय समास |

तत्पुरुष समास के दो प्रकार होते हैं :-

  1. व्यधिकरण तत्पुरुष समास :- इस तत्पुरुष समास में विभक्ति का प्रयोग किया जाता है | अत: विभक्ति के अनुसार यह 6 प्रकार का होता है | इनके अलावा एक नञ् तत्पुरुष समास भी होता है |

(इसे हमारे पूर्व लेख में पढ़ सकते है )

  1. समानाधिकरण तत्पुरुष समास :- जिस समास में दोनों पद सामान विभक्ति में हो उसे समानाधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं |

यह दो प्रकार का होता है –

द्विगु समास की परिभाषा :- जब पूर्व पद संख्या-वाचक हो तथा उत्तर (बाद वाला) पद संज्ञा या सर्वनाम हो तो उसे द्विगु समास कहते है | द्विगु समास का समस्त पद (समास युक्त पद) नपुंसकलिंग एकवचन में ही निर्मित होता है |

उदाहरण (Dvigu Samas) :-

द्विगु:                 = द्वयो: गवो: समाहार: (दो गायों का समूह)

चतुष्पथम्          = चतुर्णाम् पथानाम् समाहार:

पंचरात्रम्           = पञ्चानां रात्रीणाम् समाहार:

पञ्चमूलम्           = पञ्चानां मूलानाम् समाहार:

त्रिभुवनम्           = त्रयाणां भुवनानाम् समाहार:

शताब्दी             = शतानाम् अब्दानाम् समाहार:

पञ्चगवम्            = पञ्चानां गवानाम् समाहार:

पञ्चवटी             = पञ्चानां वटानाम् समाहार:

चतुर्युगम्            = चतुर्णां युगानाम् समाहार:

त्रिलोकी            = त्रयाणां लोकानाम् समाहार:

इस प्रकार से हम द्विगु समास को समझ सकते है कि द्विगु समास का विग्रह करते समय पूर्व पद और उत्तर पद की विभक्ति एक समान है इसीलिए इसे समानाधिकरण तत्पुरुष समास कहते है |

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