द्वन्द्व समास (Dvandva Samas in Sanskrit)
द्वन्द्व की परिभाषा – जहाँ पर दो या दो से अधिक शब्दों का इस प्रकार समास हो जिसमे “च” (और) का अर्थ छिपा हो, तो उसे द्वंद्व समास (Dvandva Samas in Sanskrit) कहते हैं |
जब सभी पदों की प्रधानता होती है तथा उनको मिलाकर एक पद बनाया जाए , तो उसे द्वन्द्व समास कहते हैं |
उदाहरण –
अर्थधार्मौ = अर्थश्च धर्मश्च (अर्थ: च धर्म: च)
पितरौ = माता च पिता च
समास की परिभाषा- समास शब्द “सम्” उपसर्ग पूर्वक “अस्” धातु से बना है | इसका अर्थ होता है :- संक्षेप | अर्थात् समास की परिभाषा होती है – दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से उत्पन्न विकार को समास कहते है |
संस्कृत परिभाषा :- समसनं समास: |
समास के प्रकार- समास मुख्य रूप से 05 प्रकार के होते है | कर्मधारय और द्विगु समास तत्पुरुष समास के ही उपभेद है |
- केवल समास
- अव्ययी-भाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्वन्द्व समास
- बहुव्रीहि समास
कर्मधारय और द्विगु समास तत्पुरुष समास के ही उपभेद है |
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
आज हम द्वन्द्व समास के विषय में अध्ययन करेंगे | ऊपर हमने द्वन्द्व समास की परिभाषा के साथ साथ समास की परिभाषा व प्रकार के विषय में पढ़ चुके है | अब हम द्वंद्व समास के प्रकार व उदाहरणों के विषय में अध्ययन करते हैं |
द्वन्द्व समास के प्रकार-(Dvandva Samas in Sanskrit)
इस समास के तीन प्रकार होते हैं – 01. इतरेतर द्वन्द्व 02. समाहार द्वन्द्व 03. एकशेष द्वन्द्व
01. इतरेतर द्वन्द्व :- शब्दों को संख्या के अनुसार ही समास का वचन होता है और अन्तिम शब्द का ही लिंग समास का लिंग होता है |
समास विग्रह को समास युक्त कैसे बनाना है इसे समझते है –
- सर्वप्रथम तो समास विग्रह में आये हुए “च” को हटाना है |
- उसके बाद विभक्ति को हटाकर सभी पदों में संधि करनी है |
- उसके पश्चात् अन्तिम शब्द के अनुसार शब्द रूप बनेंगे |
- जितने पदों को मिलाकर समास किया है उन के अनुसार सामासिक शब्द का वचन होगा, यदि दो है तो द्विवचन और ज्यादा है तो बहुवचन |
जैसे :-
समास विग्रह | समास युक्त |
राम: च लक्ष्मण: च | = रामलक्ष्मणौ |
कृष्ण: च राम: च श्याम: च | = कृष्णरामश्यामा: |
धर्म: च अर्थ: च | = धर्मार्थौ |
हरि: च हर: च | = हरिहरौ |
ईश: च कृष्ण: च | = ईशकृष्णौ |
शिव: च केशव: च | = शिवकेशवौ |
दुखं च सुखं च | = दुखसुखे (नपुंसकलिंग) |
पत्रं च पुष्पं च फलं च | = पत्रपुष्पफलानि |
पुष्पाणि च फलानि च | = पुष्पफलानि |
धर्मः च अर्थः च कामः च | = धर्मार्थकामा: |
02. समाहार द्वन्द्व :-
इस समास में जातिवाचक शब्दों का समास होता है, विग्रह के अन्त में “समाहार” लिखा जाता है और समास होने पर शब्द के अन्त में नपुंसकलिंग एकवचन का प्रयोग किया जाता है |
- सर्वप्रथम समास विग्रह में आये हुए “च, तयो:, तेषां, समाहार” इत्यादि शब्दों को हटाना है |
- उसके बाद विभक्ति को हटाकर सभी पदों में संधि करनी है |
- उसके पश्चात् अन्तिम शब्द में नपुंसकलिंग एकवचन का प्रयोग करना है |
समास विग्रह | समास युक्त |
पाणी च पादौ च तेषां समाहार: | = पाणिपादम् |
गोधूमं च चणकम् च च तयो: समाहार: | = गोधूमचणकम् |
रथिका: च अश्वरोहा: च तेषां समाहार: | = रथिकाश्वरोहम् |
वाक् च त्वक् च तयो: समाहार: | = वाक्त्वकम् |
छत्रं च उपाहनं च तयो: समाहार: | = छत्रोपाहनम् |
03. एकशेष द्वन्द्व :-
इस समास में केवल युगल (जोड़ा) शब्दों का ही समास होता है |
- इसमें समास विग्रह में आये हुए “च” को हटाना है |
- दो शब्दों के होने पर द्विवचन का प्रयोग होता है |
- दो शब्द है लेकिन किसी शब्द में बहुवचन का प्रयोग हुआ है तो बहुवचन का प्रयोग होगा |
समास विग्रह | समास युक्त |
माता च पिता च | = पितरौ |
भ्राता च भगिनी च | = भ्रातरौ |
भ्रातर: च भगिनी च | = भ्रातर: (बहुवचन) |
पितामहः च पितामही च | = पितामहौ |
उदाहरण-
समास विग्रह | समास युक्त |
राम: च लक्ष्मण: च | = रामलक्ष्मणौ |
कृष्ण: च राम: च श्याम: च | = कृष्णरामश्यामा: |
धर्म: च अर्थ: च | = धर्मार्थौ |
हरि: च हर: च | = हरिहरौ |
ईश: च कृष्ण: च | = ईशकृष्णौ |
शिव: च केशव: च | = शिवकेशवौ |
दुखं च सुखं च | = दुखसुखे (नपुंसकलिंग) |
पत्रं च पुष्पं च फलं च | = पत्रपुष्पफलानि |
पुष्पाणि च फलानि च | = पुष्पफलानि |
धर्मः च अर्थः च कामः च | = धर्मार्थकामा: |
हस्तौ च पादौ च | = हस्तपादम् |
माता च पिता च | = पितरौ |
भ्राता च भगिनी च | = भ्रातरौ |
भ्रातर: च भगिनी च | = भ्रातर: (बहुवचन) |
पितामहः च पितामही च | = पितामहौ |
पाणी च पादौ च तेषां समाहार: | = पाणिपादम् |
गोधूमं च चणकम् च च तयो: समाहार: | = गोधूमचणकम् |
रथिका: च अश्वरोहा: च तेषां समाहार: | = रथिकाश्वरोहम् |
वाक् च त्वक् च तयो: समाहार: | = वाक्त्वकम् |
छत्रं च उपाहनं च तयो: समाहार: | = छत्रोपाहनम् |
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