Deep Pratyay in Sanskrit ङीप् प्रत्यय-परिभाषा,सूत्र व उदाहरण

ङीप् प्रत्यय-परिभाषा,सूत्र व उदाहरण – Deep Pratyay in Sanskrit

किसी पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने के लिए जिस प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है उसे स्त्री-प्रत्यय कहते है | ङीप् (Deep Pratyay in Sanskrit) भी एक स्त्री प्रत्यय है जिसे परिभाषा व उदाहरणों की सहायता से इस लेख में समझेंगे | ङीप् प्रत्यय को कुछ शिक्षार्थी डीप् प्रत्यय भी बोलते है जो की अशुद्ध है | ङीप् ही शुद्ध शब्द है |

ङीप् प्रत्यय की परिभाषा (Deep Pratyay in Sanskrit) :-

अकारान्त, नकारान्त, ऋकारान्त, उकारान्त, आयु अर्थ वाले, जल बोधक, मतुप् प्रत्यय वाले, शतृ प्रत्यय वाले शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ङीप् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है |

इस प्रत्यय का प्रयोग करते समय और प् का लोप होकर शेष रहता है |

ङीप् प्रत्यय के सूत्र :- 

i .   ऋन्नेभ्यो ङीप् :– ऋकारान्त व नकारान्त शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ङीप् प्रत्यय का प्रयोग होता है | जैसे – धात्री, कामिनी |

ii .  उगितश्च :- जहाँ पर उ, ऋ का लोप हुआ हो, उन प्रत्ययों (मतुप्, शतृ ) से बने हुए शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ङीप् (ई) प्रत्यय का प्रयोग होता है | जैसे – भवती, श्रीमती |

iii . वयसि प्रथमे :- प्रथम वय (उम्र) वाचक अकारान्त शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ङीप् (ई) प्रत्यय का प्रयोग होता है | जैसे – कुमारी, किशोरी |

परीक्षाओं में इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है

प्रश्न :- 01. प्रकृतेः मनोहारिन् + ङीप्  शोभा दृश्यते |

(अ) मनोहारि

(ब) मनोहारिन्

(स) मनोहारिनि

(द) मनोहारिणी

प्रश्न:- 02. सूर्य: मरिचिमालिन् + ङीप् अपि कथ्यते |

(अ)  मरिचिमालिनी

(ब) मरिचिमालीनी

(स) मरिचिमालि

(द) मरिचिमालिन्

प्रश्न:- 03. तस्य वर्तनी अतीव शुद्धा अस्ति |

(अ) वर्तन +  ङीप्

(ब) वर्तन + ई

(स) वर्तन + टाप्

(द) वर्तना + ङीप्

Answer :- 01. (द) 02. (अ) 03. (अ)

ङीप् प्रत्यय के उदाहरण :-

पुत्र       + ङीप्               = पुत्री

कुमार    + ङीप्               = कुमारी

मित्र      + ङीप्               = मैत्री

नद        + ङीप्               = नदी

देव        + ङीप्               = देवी

कुम्भकार + ङीप्             = कुम्भकारी

पंचतय  + ङीप्               = पंचतयी

पार्वत    + ङीप्               = पार्वती

कुरुचर  + ङीप्               = कुरुचरी

कर्तृ       + ङीप्               = कर्त्री

धातृ      + ङीप्               = धात्री

कामिन्  + ङीप्               = कामिनी

मनोहारिन् + ङीप्           = मनोहारिणी

तपस्विन् + ङीप्              = तपस्विनी

विज्ञानमय + ङीप्           = विज्ञानमयी

तृ प्रत्ययान्त शब्दों से ङीप् करने पर ‘त्’ से पूर्व ‘न्’ हो जाता है ।

जैसे:-

पठत्     + ङीप्               = पठन्ती

भवत्     + ङीप्               = भवन्ती

गायत्    + ङीप्               = गायन्ती

पश्यत्   + ङीप्               = पश्यन्ती 

मतुप् प्रत्ययान्त शब्दों से ङीप् प्रत्यय का प्रयोग करने पर बनने वाले शब्द:- 

श्रीमत्   + ङीप्               = श्रीमती

आयुष्मत् + ङीप्             = आयुष्मती

भानुमत् + ङीप्               = भानुमती

मधुमत्  + ङीप्               = मधुमती

धीमत्    + ङीप्               = धीमती

चक्षुमत्  + ङीप्               = चक्षुमती

धृतिमत् + ङीप्               = धृतिमती

वसुमत्   + ङीप्               = वसुमती

बलवत्   + ङीप्               = बलवती

गुणवत्   + ङीप्               = गुणवती

रुपवत्   + ङीप्               = रुपवती

विद्यावत् + ङीप्              = विद्यावती

ज्ञानवत्  + ङीप्               = ज्ञानवती

धनवत्   + ङीप्               = धनवती

भाग्यवत् + ङीप्              = भाग्यवती

शीलवत् + ङीप्               = शीलवती

शक्तिमत् + ङीप्              = शक्तिमती

इन्हें समझने के लिए इन लिंक पर click करे :- 

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