Dvandva Samas in Sanskrit

Dvandva Samas in Sanskrit

द्वन्द्व समास (Dvandva Samas in Sanskrit) द्वन्द्व की परिभाषा – जहाँ पर दो या दो से अधिक शब्दों का इस प्रकार समास हो जिसमे “च” (और) का अर्थ छिपा हो, तो उसे द्वंद्व समास (Dvandva Samas in Sanskrit) कहते हैं | जब सभी पदों की प्रधानता होती है तथा उनको मिलाकर एक पद बनाया जाए … Read more

karmadharaya Samas in Sanskrit

karmadharaya Samas in Sanskrit,

कर्मधारय समास (karmadharaya Samas in Sanskrit) कर्मधारय समास (karmadharaya Samas in Sanskrit) तत्पुरुष समास का ही एक भेद है | जिस समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता … Read more

Dvigu Samas

Dvigu Samas

द्विगु समास (Dvigu Samas) द्विगु समास (Dvigu Samas) तत्पुरुष समास का ही एक भेद है | जिस समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता है | तत्पुरुष समास … Read more

Nay Tat Purush Samas

Nay Tat Purush Samas

Nay Tat Purush Samas (नञ् तत्पुरुष समास) परिभाषा :- जब शब्दों को नकारात्मक बनाने के लिए “अ” अथवा “अन्” लगाकर शब्द बनाया जाए तो उसे नञ् तत्पुरुष समास (Nay Tat Purush Samas) कहते हैं | समास विग्रह करते समय “अ” अथवा “अन्” के स्थान पर “न” शब्द का प्रयोग किया जाता है |संस्कृत में नञ् … Read more

Tatpurush Samas in Sanskrit (तत्पुरुष समास)

Tatpurush Samas in Sanskrit

तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas in Sanskrit) जिस समास में उत्तर पद (द्वितीय पद) की प्रधानता होती है उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas in Sanskrit) कहते है | तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा/विशेषण होता है, लिंग व वचन का निर्धारण द्वितीय पद के अनुसार होता है | उदाहरण :- नरकपतित: = नरकं पतित: हरि-त्रात:   = … Read more

Avyayi bhav samas (अव्ययी-भाव समास)

Avyayi bhav samas

अव्ययी-भाव समास (Avyayi bhav samas) परिभाषा:- जिस समास में पूर्व पद (पहले पद) की प्रधानता हो उसे अव्ययीभाव समास कहते है | यदि प्रथम पद अव्यय / उपसर्ग हो तो उसे भी अव्ययी-भाव समास (avyayi-bhav samas) कहते है | अव्ययी-भाव समास से युक्त पद हमेशा नपुंसकलिंग एकवचन में रहता है | अव्यय / उपसर्ग अर्थ … Read more

Samas ki Paribhasha Prakar (समास की परिभाषा व प्रकार)

Samas ki Paribhasha,Prakar

समास की परिभाषा व प्रकार (Samas ki Paribhasha,Prakar) समास शब्द “सम्” उपसर्ग पूर्वक “अस्” धातु से बना है | इसका अर्थ होता है :- संक्षेप | अर्थात् समास की परिभाषा होती है – दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से उत्पन्न विकार को समास कहते है | Samas ki Paribhasha Prakar. समास-प्रक्रिया में उन … Read more

Yan Sandhi ki Paribhasha Udaharan (यण् सन्धि की परिभाषा व उदाहरण)

Yan Sandhi ki Paribhasha Udaharan

यण् सन्धि की परिभाषा व उदाहरण स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भेद (प्रकार) है यण् सन्धि | स्वर संधि के मुख्य रूप से पांच भेद होते हैं तथा तीन अवान्तर भेद होते है :-1.दीर्घ , 2. गुण , 3. वृद्धि , 4. यण्, 5. अयादि | इनके अलावा 6. पूर्वरूप , 7. पररूप , 8. … Read more

Ayadi Sandhi ke udaharan अयादि संधि

अयादि संधि की परिभाषा Ayadi Sandhi ke udaharan

अयादि संधि Ayadi Sandhi ke udaharan स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भेद (प्रकार)  है अयादि संधि | जब ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’ और ‘औ’ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ए’ का ‘अय्’, ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ बन जाता है | अयादि संधि करते समय प्रथम शब्द के अन्तिम … Read more

Dirgh Sandhi in sanskrit (दीर्घ संधि परिभाषा व उदाहरण)

दीर्घ संधि परिभाषा व उदाहरण Dirgh Sandhi in sanskrit

01. दीर्घ संधि परिभाषा व उदाहरण (Dirgh Sandhi in sanskrit) Dirgh Sandhi in Sanskrit यदि पूर्व पदान्त हृस्व / दीर्घ अ , इ ,उ , ऋ के पश्चात कोई सजातीय वर्ण हो तो पूर्व (पहले वाला) और पर (बाद वाला) वर्णों के स्थान पर दीर्घ वर्ण क्रमशः आ , ई , ऊ , ऋ आदेश होगा | … Read more