बहुव्रीहि समास(Bahuvrihi Samas in Sanskrit)
जिस समास में अन्य पद की प्रधानता होती है उसे बहुव्रीहि समास कहते है | बहुव्रीहि समास में दो पदों (प्रथम पद और द्वितीय पद) को मिलाकर तीसरे पद (तृतीय पद) का निर्माण करते हैं | तीसरा पद प्रधान होता है और यह पहले दो पदों का अर्थ बताता है | (Bahuvrihi Samas in Sanskrit )अर्थात् इस समास में न तो पूर्व पद की प्रधानता होती है और न ही उत्तर (बाद वाले) पद की प्रधानता होती है, अपितु दोनों पद मिलकर एक अन्य पद का बोध कराते हैं | बहुव्रीहि समास का विग्रह करने पर यस्य स: , येन स: , सहितम् , हिन्दी में वाला है, जिसका, जिसकी,जो, वह इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता है |
जैसे–
पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बर: |
पीला वस्त्र है जिसका वह = पीताम्बर, अर्थात् विष्णु |
इस उदाहरण में ‘पीतम्’ और ‘अम्बरम्’ इन दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता नहीं है, अपितु दोनों पद मिलकर एक अन्य पद अर्थात् ‘विष्णु’ अर्थ का बोध कराते हैं अर्थात् ‘पीताम्बरः’ इस समस्त पद का अर्थ हुआ ‘विष्णुः’ | इसलिए यहाँ बहुव्रीहि समास है।
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समास की परिभाषा व प्रकार
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अव्ययी-भाव समास
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तत्पुरुष समास
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नञ् तत्पुरुष समास
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द्विगु समास
- कर्मधारय समास
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द्वन्द्व समास
समास के उदाहरण – (Bahuvrihi Samas in Sanskrit)
(1) व्यधिकरणबहुव्रीहि समास :- जब पूर्व पद और उत्तर पद में भिन्न विभक्ति हो तो उसे व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं |
जैसे :-
धनुष्पाणि: = धनु: पाणौ यस्य स: (राम)
चक्रपाणि: = चक्रं पाणौ यस्य स: (विष्णु)
चन्द्रशेखर: = चन्द्र: शेखरे यस्य स: (शिव:)
चन्द्रकान्ति = चन्द्रस्य कान्ति: इव कान्ति: यस्य स:
शूलपाणि: = शूलं पाणौ यस्य स: (शिव)
(2) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास :- जब पूर्व पद और उत्तर पद में समान विभक्ति हो तो समानाधिकरण बहुव्रीहि समास होता है |
जैसे :-
प्राप्तोदकः = प्राप्तम् उदकं येन सः |
पीताम्बर: = पीतम् अम्बरं यस्य सः |
पतितपर्णः = पतितं पर्णं यस्मात् सः |
वीरपुरुषः = वीराः पुरुषाः यस्मिन् सः |
हतशत्रुः = हताः शत्रवः येन सः |
दशाननः = दश आननानि यस्य सः |
चतुर्मुखः = चत्वारि मुखानि यस्य सः |
जितेन्द्रिय: = जितानि इन्द्रियाणि येन स: |
दत्तचित्त: = दत्तं चित्तं येन स: |
निर्बल: = निर्गतं बलं यस्य स: |
(3) तुल्ययोगेबहुव्रीहि समास :- जब उत्तर (बाद वाले) पद में यहाँ तृतीया विभक्ति का प्रयोग हो तो तुल्ययोगेबहुव्रीहि समास होता है |
जैसे :-
सपुत्रः = पुत्रेण सहितः |
सादरम् = आदरेण सहिम् |
सविनयम् = विनयेन सहिम् |
सबान्धवः = बान्धवैः सहितः |
सपत्नीकः = पत्न्या सहितः |