Avyaya in Sanskrit अव्यय-परिभाषा,भेद और उदाहरण
संस्कृत के वे शब्द जो हमेशा एक जैसी अवस्था में रहते है उन्हें अव्यय पद (Invariable) कहते हैं | जिन शब्दों का लिंग, वचन, कारक और काल के अनुसार रूप नहीं बदलता है उन्हें अव्यय पद कहते हैं | इन शब्दों के लिंग, विभक्ति, लकार, पुरुष और वचन नहीं होते हैं | इन शब्दों (Avyaya in Sanskrit) का धातु रूप व शब्द रूप नहीं बनता हैं |
सदृशं त्रिषु लिंगेषु, सर्वासु च विभक्तिषु |
वचनेषु च सर्वेषु, यन्नव्येति तदव्ययम् ||
अव्ययों के भेद (Part of invariable) Avyaya in Sanskrit :-
1. स्थान वाचक अव्यय पद
2. काल (समय) बोधक अव्यय पद
3. प्रश्न वाचक अव्यय पद
4. समुच्चय बोधक अव्यय पद
5. परिमाण वाचक अव्यय पद
6. रीति वाचक अव्यय पद
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अव्ययी-भाव समास (Avyayi bhav samas)
01स्थान वाचक :- जो अव्यय किसी स्थान का बोध (ज्ञान) कराता है उसे स्थान वाचक अव्यय पद कहते हैं |
क्र.संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | यत्र | जहाँ |
02. | अत्र | यहाँ |
03. | सर्वत्र | सब जगह |
04. | अन्यत्र | कहीं ओर |
05. | तत्र | वहाँ |
06. | नीचै: | नीचे |
07. | अध: | नीचे |
08. | उपरि | ऊपर |
09. | बहि: | बाहर |
10. | अन्त: | अन्दर |
11. | पुरत: | आगे |
12. | पृष्ठतः | पीछे |
13. | इत: | यहाँ से |
14. | तत: | वहाँ से |
15. | कुत: | कहाँ से |
02. काल (समय) बोधक :- जो अव्यय किसी काल अर्थात् समय का बोध (ज्ञान) कराता है उसे काल / समय वाचक अव्यय पद कहते हैं |
क्र. संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | अद्य | आज |
02. | ह्य: | कल (बीता हुआ) |
03. | श्व: | कल (आने वाला) |
04. | यदा | जब |
05. | तदा | तब |
06. | सर्वदा | हमेशा |
07. | सम्प्रति | इस समय |
08. | प्रात: | सुबह |
09. | सायम् | शाम |
10. | दिवा | दिन में |
11. | नक्तम् | रात में |
12. | एकदा | एक बार |
13. | कदाचित् | कभी-कभी |
14. | कदापि | कभी भी |
15. | अधुना | अब |
03. प्रश्न वाचक :- जब कोई प्रश्न निर्माण से सम्बन्धित शब्द हो तो उसे प्रश्न वाचक अव्यय पद कहते हैं |
क्र. संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | कदा | कब |
02. | किम् | क्या |
03. | कुत्र | कहाँ |
04. | कुत: | कहाँ से |
05. | कथम् | कैसे |
06. | किमर्थम् | किसलिए |
04. समुच्चय बोधक :- किन्ही दो शब्दों को या किन्ही दो वाक्यों को जोड़ने में जिस अव्यय का प्रयोग किया जाता है तो उसे समुच्चय बोधक अव्यय पद कहते हैं |
क्र. संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | च | और |
02. | हि | क्योंकि |
03. | वा | अथवा |
04. | अपि | भी |
05. | तु | तो |
06. | यदि | अगर |
07. | यत् | कि |
08. | तथापि | फिर भी |
09. | अपितु | लेकिन |
10. | अन्यथा | नहीं तो |
11. | विना | बिना |
05. परिमाण वाचक :- जो अव्यय किसी परिमाण (नाप-तोल) का बोध कराता है अर्थात् किसी मापन का ज्ञान हो रहा हो तो उसे परिमाण वाचक अव्यय पद कहते हैं |
क्र.संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | किंचित् | थोड़ा |
02. | यावत् | जितना |
03. | तावत् | उतना |
04. | अलम् | पर्याप्त |
05. | न्यूनम् | कम |
06. | अधिकम् | ज्यादा |
06. रीति वाचक अव्यय पद :-
क्र. संख्या | अव्यय पद | अर्थ |
01. | यथा | जैसे |
02. | तथा | वैसे |
03. | सहसा | अचानक |
04. | शीघ्रम् | तेज |
05. | शनैः | धीरे |
06. | पुनः | फिर से |
07. | एवम् | इस प्रकार |
08. | सम्यक् | ठीक |
09. | वारम्-वारम् | बार-बार |
10. | वृथा | बेकार |
सम्बन्धित प्रश्न :-
01………… कश्मिंश्चित् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत् | (पुरा/अधुना)
02………… माता स्थाल्यां तन्डुलान् निक्षिप्य पुत्रीम् आदिशत् | (सर्वदा/एकदा)
03. प्रात: ……….. गत्वा सा काकं निर्भर्त्यन्ति | (तत्र/उभयत्र)
04. यदा काक: शयित्वा प्रबुद्ध: ……….तेन स्वर्णगवाक्षात् कथितम् | (तदा/कदा)
05. अहं तुभ्यं ……… तन्डुलमूल्यं दास्यामि | (ह्य:/श्व:)
उत्तराणि – (1) पुरा (2) एकदा (3) तत्र (4) तदा (5) श्व: |
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