Dirgh Sandhi in sanskrit (दीर्घ संधि परिभाषा व उदाहरण)

01. दीर्घ संधि परिभाषा व उदाहरण (Dirgh Sandhi in sanskrit)

Dirgh Sandhi in Sanskrit यदि पूर्व पदान्त हृस्व / दीर्घ अ , इ ,उ , के पश्चात कोई सजातीय वर्ण हो तो पूर्व (पहले वाला) और पर (बाद वाला) वर्णों के स्थान पर दीर्घ वर्ण क्रमशः आ , ई , ऊ , आदेश होगा |

दीर्घ संधि सूत्र :- अक: सवर्णे दीर्घ: |

अ  +  अ = आ                            इ + इ = ई

अ  + आ = आ                            इ + ई = ई

आ +  अ = आ                            ई + इ = ई

आ + आ = आ                            ई + ई = ई

उ  + उ  = ऊ                              ऋ + ऋ = ॠ

उ  + ऊ = ऊ                               ऋ + ॠ = ॠ

ऊ + उ  = ऊ                               ॠ + ऋ = ॠ

ऊ + ऊ = ऊ                               ॠ + ॠ = ॠ

इसका अर्थ हुआ कि दीर्घ सन्धि में प्रथम पद के अन्त में के बाद आए तो होगा , के बाद आए तो होगा , के बाद आए तो होगा और के बाद आए तो भी ही होगा |

इसी तरह Dirgh Sandhi in Sanskrit में  के बाद लघु या दीर्घ इ आए तो होगा और के बाद लघु या दीर्घ आए तब भी ही होगा |

के बाद लघु या दीर्घ आए तो होगा और के बाद लघु या दीर्घ आए तब भी ही होगा |

के बाद लघु या दीर्घ आए तो दीर्घ होगा |

दीर्घ संधि उदाहरण (Dirgh Sandhi in sanskrit)

हिम     + अंशु:     =  हिमांशु:

दैत्य     + अरि:      =  दैत्यारि:

वेद      + अंत       = वेदान्त

धर्म      + अधर्म     = धर्माधर्म

प्रधान   + आचार्य:   =  प्रधानाचार्य:

देव      + आगमन   = देवागमन

सत्य     + आग्रह      = सत्याग्रह

गिरि     +  इन्द्र:      =  गिरीन्द्र:

कवि    + इन्द्र:       = कवीन्द्र:

रवि     + इन्द्र:        = रवीन्द्र:

अति    + इव          = अतीव

लघु      +  उत्तरम्   = लघूत्तरम्

साधु     +  उक्तम्    = साधूक्तम्

गुरु      +  उपदेश:  = गुरूपदेश:

पितृ     +  ऋकार:  =  पितॄकार:

मातृ     +  ऋणम्   =  मातॄणम्